ख़ुशी कोई भी हो बेकार सी है
के तुझ बिन ज़िन्दगी आजार सी है
कशिश है चाँद में भी मानता हूँ
क्या वो मेरे दिलदार सी है
ना मिल पाउँगा तुझसे आज भी में
ये दुनिया आज भी दीवार सी है
बुरा तो है मगर हक आशना है
सिफत उसकी ये एक औतार सी है
तू खुश है देकर धोका मुझ को
मगर यह जीत तेरी हार सी है |
nyce yaa :)
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