03 May, 2011

जी चाहता है ..

कभी  अपनी  हंसी  पर  भी  आता  है  गुस्सा ..
कभी  सारे  जहाँ  को  हँसाने  को  जी  चाहता  है ...
कभी  छुपा  लेते  हैं  गमो  को  दिल  के  किसी  कोने  में ..
कभी  किसी  को  सब  कुछ  सुनाने  को  जी  चाहता  है ..
कभी  रोता  नहीं  दिल  टूट  जाने  पर  भी ..
और  कभी  बस  यु  ही  आंसू  बहाने  को  जी  चाहता  है ..
कभी  हँसी सी  आ जाती  है  भीगी  यादों  में ..
तो  कभी  सब  कुछ  भुलाने  को  जी  चाहता  है ..

No comments:

Post a Comment