04 July, 2011

कल याद बहुत तुम आये थे

कल हल्की हल्की बारीश थी,
कल सर्द हवा का रक्स भी था, 
कल फूल भी निखरे निखरे थे, 
कल उनमे आपका अक्स भी था, 
कल बादल गहरे काले थे, 
कल चाँद पे लाखों पहरे थे, 
कुछ टुकरे आपकी यादों के बरी देर से दिल में ठहरे थे,
 कल यादें उलझी उलझी थी, 
और कल तक ये ना सुलझी थी, 
कल याद बहुत तुम आये थे...कल याद बहुत तुम आये थे.....

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