और सोचो ना कुछ बहाने तुम
छू के देखूं तो मानू मैं ,
सच हो या ख्वाब हो ना जाने तुम .
आज भी मैं तो हूँ फ़िदा तुम पर ,
हो मेरे अब भी क्या दीवाने तुम .
मेरी नज़रों मैं डाल कर नज़रें ,
खुद ही पढ़लो ना सब फ़साने तुम .
कोई तक़रार अब नई सोचो ,
फिर ना शिकवे करो पुराने तुम .
जी मैं आता है रूठ जाऊं मैं ,
हंस के मुझको लगो मनाने तुम .
मेरे सीने पे सर रखो अपना ,
यूँ रहो ना बने बेगाने तुम .
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