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14 July, 2011

तुम्ही 'मिलते' तो 'अच्छा' था


जहाँ फूलों को ‘खिलना’ था, वहीं खिलते तो अच्छा था,
तुमको हम ने चाहा था, तुम्ही 'मिलते' तो अच्छा था,
कोई आ कर हमें पूछे, तुम्हें कैसे 'भुलाया' है, 
तुम्हारे ख़त को 'अश्कों' से, शब्-ए-ग़म ने 'धुलाया' है,
हज़ारों 'ज़ख्म' ऐसे हैं, अगर 'सिलते' तो अच्छा था,
मिला है 'लुत्फ़' भी हमको, तेरी यादों के 'चिलमन' में,
कटी है ज़िन्दगी तुम 'बिन', मगर इतनी सी 'ख्वाहिश' थी,
अगर आते तो अच्छा था, अगर 'मिलते' तो अच्छा था,
'तुम्ही' को हमने 'चाहा' था, तुम्ही 'मिलते' तो 'अच्छा' था !!!!

By Our Reader: Sonu Sharma