13 February, 2012

तेरी यादों की सुनहरी धूप


तेरी यादों की सुनहरी धूप , एक जशन है मेरी जिन्दगी का
गीली रेत पर छोड के अपने निशा, लिखती जाती है कोई गीत खुशी का
तेरे साथ बिताया हर लम्हा, दिल की धडकन में कोई साज छेड जाता है
आज भी देती है जब दस्तक तुम्हारी यादें, तेरा अक्स नगमों में बदल जाता है
मैं नहीं जानता ये यादें ना होती तो क्या होता?
मगर ये जानता हू, ना कोई खुशनुमा सरगम का फलसफा होता, ना जिन्दगी जीने का मायना होता
ये यादें एक जशन है मेरी जिन्दगी का, जो लिखती जाती है कोई गीत खुशी का।

3 comments:

  1. बहुत ही अच्छा लिखा है आशीष...लेखनी चलती रहे...शुभकामनाएं

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा है आशीष...लेखनी चलती रहे...शुभकामनाएं

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  3. भाई ये आपकी रचना नहीं है तो लेखक का नाम दाल दें

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