04 April, 2012

मेरी जान, अभी बाकि है

सुबह बाकि है, शाम अभी बाकि है 
इस दिल के कुछ अरमान, अभी बाकि हैं 

कोई है जो मेरा होश उड़ा ले गया है 
सासें रुक गयी है, पर जान, अभी बाकि है 

की थी, मैंने भी, आसमान की चाहत कभी 
पर टूट गए हैं, उड़ान अभी बाकि है 

ये क्या गजब, हवाओं ने अपना रुख बदला 
तूफ़ान दर पे है और अंजाम, अभी बाकि है 

सुना था आँसुओं में हर गम बह जाते है 
रो-रो कर थक गया हूँ, निशान अभी बाकि है 

सोचता हूँ, किसपे लुटाऊंगा दिल की दौलत सारी 
सब कुछ तो लुट चूका,  यादो का मकान, ही बाकि है 

अब जाऊं तो कहाँ जाऊं, सुकून पाने को, ऐ खुदा... 
सासें तक जलती है, दिल का मेहमान अभी बाकि है 

ख्याल आता है क़ि बचपन क़ी गलिओं में लौट चलूँ, 
कि आज भी उन गलिओं में मेरी पहचान, अभी बाकि है 

बस एक उस खुदा का ही तो आसरा है मुझे, 
ना हो मायु क़ि आखरी फरमान, अभी बाकि है 

वो सोचते हैं क़ि हम बद्दुआ करते है.. 
बद्दुआ दे भी, तो दे कैसे... 
उसके दिल में ही तो, मेरी जान, अभी बाकि है...

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