छुपा है दिल में क्या उनके, ये सब हम जान लेते हैं
मुखौटा ओढ़ने वालों को हम पहचान लेते हैं
जो राहों में तेरी यादें बहुत टकराती हैं मुझसे
तो रुक कर ख़ाक तेरे कूचे की हम छान लेते हैं
जो बोले है मेरे छत की मुंडेरों पर कोई कागा
किसी अपने के घर आने की आहट जान लेते हैं
मुझे मालूम है वो पीठ पीछे करते हैं साज़िश
मगर हम हैं कि उनको फिर भी अपना मान लेते हैं
मुखौटा ओढ़ने वालों को हम पहचान लेते हैं
जो राहों में तेरी यादें बहुत टकराती हैं मुझसे
तो रुक कर ख़ाक तेरे कूचे की हम छान लेते हैं
जो बोले है मेरे छत की मुंडेरों पर कोई कागा
किसी अपने के घर आने की आहट जान लेते हैं
मुझे मालूम है वो पीठ पीछे करते हैं साज़िश
मगर हम हैं कि उनको फिर भी अपना मान लेते हैं
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