07 July, 2016

शराब पीता हूँ...

शराब पीता हूँ मैं तो इसमें भला क्या बुराई है,
ताना देने वालों मुझसे पूछो क्या गमे जुदाई है।
प्यार हुआ है जबसे ‘मैं’ कहीं खो सा गया हूँ,
इश्क़ करने वालों उल्फ़त से अच्छी तनहाई है।
दिल टूटा दर्द हुआ अश्क निकले मैं खूब रोया,
पहले हाले दिल तनहाई था अब दर्दे दिल तनहाई है।

रिश्ते टूटे आस छूटी अब क्यूँ जीऊँ क्यूँ कमाऊ,
अब ऐसा कौन है शहर में जिससे मेरी आशनाई है।
जाम लगा जो होठों से तो दिल को सुकून मिला थोड़ा,
मैखाना है अपना या साकी है, बाकी दुनिया हरजाई है।
दिल मेरा दर्द मेरा, शाम मेरी जाम मेरा मर्जी मेरी,
ऐ दुनिया तुझे भुलाने की बस यही महफूज दवाई है।

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