23 March, 2015

मम्मी...

लेती नहीं दवाई मम्मी ,
जोड़े पाई-पाई मम्मी ।

दुःख थे पर्वत, राई मम्मी,
हारी नहीं लड़ाई मम्मी ।

इस दुनियां में सब मैले हैं,
किस दुनियां से आई मम्मी ।


दुनिया के सब रिश्ते ठंडे,
गरमागर्म रजाई मम्मी ।

जब भी कोई रिश्ता उधड़े,
करती है तुरपाई मम्मी ।

बाबू जी तनख़ा लाये बस,
लेकिन बरक़त लाई मम्मी ।


बाबूजी थे सख्त मगर ,
माखन और मलाई मम्मी ।


बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई मम्मी ।

नाम सभी हैं गुड़ से मीठे,
मां जी, मैया, माई, मम्मी ।

सभी साड़ियाँ छीज गई थीं,
मगर नहीं कह पाई मम्मी ।

मम्मी से थोड़ी - थोड़ी,
सबने रोज़ चुराई मम्मी ।

घर में चूल्हे मत बाँटो रे,
देती रही दुहाई मम्मी ।

बाबूजी बीमार पड़े जब,
साथ-साथ मुरझाई मम्मी ।

रोती है लेकिन छुप-छुप कर,
बड़े सब्र की जाई मम्मी ।

लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई मम्मी ।

बेटी की ससुराल रहे खुश,
सब ज़ेवर दे आई मम्मी ।

मम्मी से घर, घर लगता है,
घर में घुली, समाई मम्मी ।

बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाई मम्मी ।

दर्द बड़ा हो या छोटा हो,
याद हमेशा आई मम्मी ।

घर के शगुन सभी मम्मी से,
है घर की शहनाई मम्मी ।

सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई मम्मी ।......                     

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